कुछ लोग भूल कर भी भुलाये नहीं जाते,
ऐतबार इतना है कि आजमाये नहीं जाते,
हो जाते हैं दिल में इस तरह शामिल कि,
उनके ख्याल भी दिल से मिटाये नहीं जाते।
जाने लागे जब वो छोड़ के दामन मेरा,
टूटे हुए दिल ने एक हिमाक़त कर दी,
सोचा था कि छुपा लेंगे ग़म अपना,
मगर कमबख्त आँखों ने बगावत कर दी।
अब तुम्हारे गले लग जाने का दिल कर रहा है
खुद को खुद से गले लगा कर थक गयी हूँ मैं😘
अब तुम्हारे गले लग जाने का दिल कर रहा है
खुद को खुद से गले लगा कर थक गयी हूँ मैं😘
पास हैं तो चलो कोई बात नहीं….
अगर नहीं भी हैं तो…. कौन सा वो ताज….. और हम जहाँगीर हैं
हिंदी शायरी
समंदरों के किनारों की बड़ी चाहत थी उसे……
धोखा मिलनें के बाद…. आजकल समंदरों के बीच ही रहता है वो
शहंशाहों की दुनियाँ है…. यहाँ हर कोई मालिक है……
बेहिसाब तकलीफ़ें है हमें…. अब क्या कहें…
पर जो है… शायद बहोत है…. दुनियाँ की नज़र में
कुछ असहायों की मदद हो जाएगी, और आपको भी अच्छा लगेगा, इसमें मेरा कुछ भी स्वार्थ नहीं है, लेकिन आपसे अनुरोध है कि आप एक बार कुछ डोनेट करें जरूर।
पता नहीं… पर कुछ तो खास होगा ही हममें…
लोग खिंचे चले आते हैं…. मुह पे कड़वी… हक़ीकत सुननें…….
काश की ये वक़्त थम जाए…. तो उनके साथ बिता लेते पूरी ज़िंदगी….
वैसे तो सुना है.. की वक़्त बदल जाता है… और लोग भी
वज़ह है उनसे बात करनें की शायद….
वो मेरी ज़िंदगी को जिंदगी बनाते हैं
नासमझियां तेरी समझता हूँ मैं…..
शायद यही वज़ह है…. की लोग बचपना देखते हैं मुझमें
बड़ी कमजोर रहे होंगे….. तेरे कुछ पाने के इरादे….
लोगों नें यहाँ जिद पे…… खुदा तक को पा लिया
उसे लगता है… खरीद लेगा वो… वफ़ादारी रुपयों से…..
कहीं ऐसा तो नहीं…. अपनों नें उसे… सिर्फ़ धोखा ही दिया हो
ये आशिक़ी कहाँ समझती है…. हुक्मरानों की बातें…..
उसे क्या पता….. की मना है….. घर से बाहर भी आना
चल तुझे एक बात……. सलीके से बताएं….
तू मेरी है….ये कोई ऐसी वैसी बात नहीं…..ग़ुरूर है मेरा
वो मंजिल…. आसान तो नहीं थी… मेरी ख़ातिर…
पर.. गर उसे भी न पाया… तो क्या ही पाया
बारिशों का भी अपना ठीक ही होगा….
बादलों से रूठकर…. ज़मी को चले आये